जंगलों से भूख-प्यास के कारण कलेक्ट्रेट पहुंचे बंदर, अफसरों की बैठक और फरियादियों के बीच बना चर्चा का विषय

बिलासपुर bilaspur। कलेक्ट्रेट परिसर में सोमवार का दिन हमेशा की तरह व्यस्तता भरा रहा। सुबह की शुरुआत टाइम लिमिट की बैठक से हुई, जहां जिले भर के अधिकारियों को कलेक्टर ने कार्यों की समीक्षा करते हुए दिशा-निर्देश दिए। इसके बाद हर सोमवार की तरह जन दर्शन आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में फरियादी अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे। लेकिन इस बार यह दिन खास मेहमानों के कारण सुर्खियों में रहा
करीब एक घंटे तक कलेक्ट्रेट परिसर में बंदरों की एक बड़ी टोली ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। भूख और प्यास से बेहाल इन वानरों ने परिसर में जमकर धमा-चौकड़ी मचाई। फरियादी और अधिकारी हैरान थे कि इतनी बड़ी संख्या में ये बंदर कलेक्ट्रेट तक कैसे पहुंच गए। हालांकि, इसका कारण जल्द ही स्पष्ट हो गया।
भोजन और पानी की कमी ने वानरों को शहर की ओर किया रुख
जानकारों का मानना है कि जंगलों में भोजन और पानी की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण बंदरों ने शहरी इलाकों का रुख किया। कलेक्ट्रेट के सामने स्थित एनआईसी भवन में वन अधिकारी एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में व्यस्त थे, जिस कारण उन्होंने इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया।
बने मनोरंजन का केंद्र
इस दृश्य को देखकर जहां कुछ फरियादियों ने अपनी समस्याओं को भूलकर वानरों की गतिविधियों का आनंद लिया, वहीं कुछ ने इसे प्रशासन की लापरवाही बताया। उन्होंने कहा कि जंगलों में वन्यजीवों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करना वन विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
एक बड़ा सवाल
इस अप्रत्याशित घटना ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्थिति स्पष्ट रूप से जंगलों में घटते संसाधनों और वन्यजीवों की उपेक्षा को दर्शाती है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मुद्दे को लेकर क्या कदम उठाता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में ही पर्याप्त सुविधाएं मिल सकें।