महामाया मंदिर कुण्ड में 23 दुर्लभ कछुओं की मौत..जिम्मेदार कौन..अब तक नहीं हुआ खुलासा..DFO ने कहा..होगी कठोर कार्रवाई


बिलासपुर–घटना के चार दिन बाद रतनपुर माता महामाया मंदिर परिसर स्थित कुण्ड में 30 से अधिक दुर्लभ कछुओं की मौत का मामला सामने आया है। यद्यपि मामले को विभाग ने दबाने का भरपूर प्रयास किया। बावजूद इसके विभाग को कामयाबी नहीं मिली। और ना ही अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार ही किया गया है। अब बताया जा रहा है कि मामले को गंभीरता से लेकर वन विभाग ने नोटिस जारी कर जांच पड़ताल का आदेश दिया है।
वनमण्डलाधिकारी ने जानकारी दिया कि मरने वाले कछुओं की संख्या 23 है ना की तीस…। उन्होने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कछुओं की मौत दम घुटने से हुई है।
चार दिन पहले रतनपुर महामाया मंदिर स्थित बड़े तालाब से तीस से अधिक दुर्लभ कछुओं की मौत का मामला सामने आया । यद्यपि कछुओं की मौत प्रकरण को विभाग ने दबाने का प्रयास किया। बावजूद इसके मामला सफलता नहीं मिली। बहरहाल मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। अन्दर खाने से मिल रही जानकारी के अनुसार कछुओं की मौत में इंसानों की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। जानकारी देते चलें कि महामाया मंदिर स्थित तालाब में कुछ लड़कों ने कछुओं की झुूण्ड को पानी के ऊपर जाल में लिपटा दिखा। लड़कों ने कांटा डालकर जाल में फंसे कछुओं को बाहर निकाला। लम्बे चौड़े जाल को बाहर निकालने पर जानकारी मिली कि करीब तीस से अधिक कछुओं की मौत हो गयी है। मामले को तत्काल वन अमले के संज्ञान में लाया। इसके बाद किसी को पता नहीं चला कि मामले में वन विभाग ने तीन दिन क्या किया।

शुक्रवार को यकायक पता चला कि डीएफओ ने रेंजर को जांच का आदेश दिया है।वन मण्डलाधिकारी सत्यदेव शर्मा ने बताया कि तालाब में तीस नहीं बल्कि 23 कछुओं की मौत की मौत हुई है। मामला सामने आने के बाद तत्काल कानन पेन्डारी के डाक्टर को मृत कछुओं का पोस्टमार्टम का आदेश दिया गया।

फेफड़ों में म्यूकस भरने से मौत

सत्यदेव शर्मा ने इंकार किया कि पानी खराब होने के कारण कछुओं की मौत हुई है। पोस्टमार्टम के अनुसार जांल में एक साथ फंसने की वजह से कछुओं को सांस लेने में तकलीफ हुई। घुटन के कारण लंग्स में म्यूकस भरने से 23 कछुओं की मौत हो गयी। सभी कछुओं का दाह संस्कार कर दिया गया है। बहरहाल कछुओं की मौत की वजह किसी के गले से उतर नहीं रहा है।

संदिग्ध लोगों की सीसीटीवी से पहचान

सत्यदेव शर्मा के अनुसार कछुओं को बरामद करने के बाद तत्काल कार्रवाई करने को कहा गया है। हमने अज्ञात लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज करने का भी आदेश दिया है। सीसीटीवी खंगालने का भी आदेश दिया। प्रारम्भिक जांच पड़ताल में कछुओं की मौत के लिए जिम्मेदार संदिग्धों की पहचान हो चुकी है। कुछ लोगों को पकड़ा भी गया है। सभी से पूछताछ की कार्रवाई हो रही है। रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद कोर्ट चालान की कार्रवाई करेंगे। आरोप साबित होने पर दोषियों को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत तीन साल जेल की सजा होगी।

तालाब का पानी प्रदूषित

सत्येदव शर्मा ने संभावना से इंकार नहीं किया कि पानी खराब हो सकता है। लेकिन उन्होने कछुओं की मौत की वजह दम घुटना बताया है। बताते चलें कि महामाया मंदिर स्थित पानी की गुणवत्ता बहुत खराब है। लोग पानी में नहाना तो दूर लोग छूने से भी डरते हैं। मामले में पानी की गुणवत्ता की जांच भी जरूरी है।

छिपाना भी नहीं आया

भीड़ भाड़ क्षेत्र में कछुओं को जाल में फंसाकर शिकार करने की कोशिश साजिश की तरफ इशारा करता है। जबकि मंदिर परिसर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम है। व्हीआईपी का रोज आना जाना होता है। बावजूद इसके 23 कछुओं की मौत..गंभीर अपराध है। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा लगता है कि सुनियोजित तरीके से कछुओं का शिकार हुआ है। मामले में गंभीर जांच की जरूरत है। पानी का भी परीक्षण किया जाना जरूरी है। क्योंकि बहुत कम सुनने को मिला है कि एक साथ इतने कछुओं की मौत हुई हो। साजिश से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। कुछ लोगों ने बताया कि कछुओं की मौत में वन विभाग की लापरवाही को इंकार नहीं किया जा सकता है। दरअसल लंग्स में पानी भरने की मौत को वजह बताकर अधिकारी अपनी गलतियों को छिपा नहीं सकते है। अगर असामाजिक तत्त्व कछुओं की मौत के कारण है तो इसकी जिम्मेदाी कौन लेगा पुलिस,मंदिर प्रबधन या वन विभाग…

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